जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे उन्हें काफी समय लग गया
देखिए क्या हुआ जब भगवान ने स्त्री की रचना की
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे उन्हें काफी समय लग गया
छटा दिन था और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी।
इसलिए देवदूत ने पूछा - भगवान आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो ?
भगवान ने जवाब दिया - क्या तुमने इसके सारे गुणधर्म देखे है जो इसकी रचना के लिए जरूरी है
यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है
यह एकसाथ अपने सभी बच्चो को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है
यह अपने प्यार से घुटनों की खरोच से लेकर टुटे दिल के घाव भी भर सकती है यह सब अपने दोनो हाथो से कर सकती है
इसमें सबसे बड़ी गुण धर्म यह है कि बीमार होने पर अपना खयाल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदूत चंकित रह गया और आश्चर्य से पूछा कि भगवान क्या यह सब दोनो हाथ से कर पाना संभव है
भगवान ने कहा - यह मेरी अद्भुत रचना है
देवदूत ने नजदीक जाकर उसको हाथ लगाया और कहा - भगवान यह तो बहुत नाजुक है
भगवान ने कहा - हां, यह बाहर से बहुत ही नाजुक है।
मगर इसको मैंने अंदर से बहुत मजबूत बनाया है। इसमें परिस्थितियों को संभालने की ताकत है। यह कोमल है पर कमजोर नहीं हैं।
देवदूत ने पूछा - क्या यह सोच भी सकती है ?
भगवान ने कहा - यह सोच भी सकती है और मजबूत होकर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला - भगवान ये तो गीले है, लगता है इसमें कुछ यह बाकि है
भगवान बोले - यह इसके आंसू है । देवदूत - आंसू किस लिए ?
भगवान बोले - यह भी इसकी ताकत है। आंसू इसको फ़रियाद करने, प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका हैं।
देवदूत - भगवान आपकी रचना अद्भुत है। आपने सबकुछ सोचकर बनाया है। आप महान है।
भगवान बोले - यह स्त्री रूपी रचना अद्भुत है। यही हर पुरुष कि ताकत है,
जो उसे प्रोत्साहित करती है। वे सभी को खुश देखकर खुश रहती है,
हर परिस्थिति में हंसती रहती है उसे जो चाहिए वह लड़कर भी ले सकती है।
उसके प्यार में कोई शर्त नहीं है उसका दिल टूट जाता है जब उसे अपने ही धोखा देते है।
मगर हर परिस्तिथियों से समझौता करना भी जानती है।
देवदूत - भगवान आपकी रचना सम्पूर्ण हैं भगवान बोले - ना, अभी इसमें एक त्रुटि हैं कि यह अपना महत्त्व भूल जाती है
स्त्री जब पैदा होती है तो बचपन में ये बहम पाल लेती है कि ये मेरा घर है, जब ससुराल जाती है तो बहम पाल लेती है कि मेरा घर है और जब बच्चे होते है तो ये वहम होती है की ये बच्चे उसके है लेकिन बच्चे भी पिता के नाम से जाने जाते है
और अंत में स्त्री इस जग की सेवा करते करते अपना देह त्याग देती है देह त्यागने के बाद भी स्त्री का कुछ नहीं बचता लेकिन पुरुष का नाम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है

Comments
Post a Comment